Wednesday 16 November, 2011

औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता




 
मीडिया समाज की स्वतंत्रता और नैतिकता को पुष्ट करता है
पत्रकारिता द्वारा भी इसी तरह समाज का हित होता है
इसीलिए ये लोकतंत्र का चौथा खम्बा कहलाते हैं
न्याय,समता से ये समाज का नेतृत्व करते हैं
ऐसे पत्रकारों को दिल से नमन दिल से सलाम
ऐसे मीडियाकर्मियों को भी  ह्रदय से प्रणाम

परन्तु क्या आज मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा

कहीं लोकतंत्र का ये खम्बा खोखला तो नहीं हो रहा
वास्तविकता ये है सच्चाई पर लिखने वाले कम हो गए हैं
अधिकतर स्वार्थ व वस्तुवादिता की आंधी में बह गए हैं
आज की मीडिया समाज को सही दिशा दे भी तो कैसे
जब खुद ही वो सही रास्ते पर नहीं चल रही है 

अपने मानकों को छोड़कर व्यापार का केंद्र हो गयी है
जनता मंहगाई,गरीबी,अशिक्षा,आतंकवाद,बुखमरी से मर रही
लेकिन मीडिया तो विज्ञापनों से जेब भर रही 
देश वैमनस्यता,बिखराव,विभाजन की राह पर है  
कोई तेलंगाना,कोई उत्तरप्रदेश को तोड़ने पर आमादा है
कोई कश्मीर,कोई महाराष्ट्र में अलगाववाद फैला रहे
कोई नक्सलियों के साथ मिलकर देश को बेच रहे
ऐसे लोगों पर ऐसे कृत्यों पर मीडिया क्यूँ चुप है
आखिर समाज हित के मुद्दों पर कलम खाती क्यूँ जंग है
 

आज पूरे देश में अराजकता व अपराध की बाढ़ सी आई है
बलात्कार,अपहरण,चोरी-डकैती,हत्या वालों की बन आई है
कहीं छुप के तो कहीं खुलेआम बहु बेटियों की इज्ज़त लूटी जा रही 
कहीं जिस्म के सौदागरों द्वारा रोज़ ही ये बेचीं जा रही
बाल-श्रम,दहेज़-हत्या,कन्या-भ्रूण हत्या समाज को अभिशापित कर रहे 
सामाजिक हित से जुड़े मुद्दे कलम से सियाही नहीं पा पा रहे 
मीडिया की प्राथमिकता से ये जैसे खोते जा रहे    
समाज सेवा ही मीडिया का धर्म मीडियाकर्मी नहीं जान पा रहे
भ्रष्टाचार पर भी मीडिया का रुख गोल मोल सा ही लगता 
अन्ना,रामदेव के मुद्दों की जगह इनका ध्यान इनके व्यक्तित्व की तरफ ज्यादा रहता   


खुलके के शराब बेचीं जा रही,जुओं की मंडली सज रही
कहीं तस्करी की छाँव में ए क ४७,कहीं अफीम मिल रही
कहीं नेता की गाडी के चक्कर में बीमार अस्पताल नहीं पहुँच पाता

कितने शहर बाढ़ से डूबे हुए हैं

कितने शहर सूखे में पड़े हुए है
कहीं चीन ने खिलौनों की मार्केट पर भी कब्ज़ा कर लिया है
और उसी ने अरुणाचल में गोरखधंधा किया हुआ है
सीमापार आतंकी कैंप चल रहे हैं
देशवासियों को मारने के प्लान बन रहे हैं
हर कुछ दिन पर धमाके हो रहे
अब तो अदालत के सामने ही लोग मर रहे
किसानो की ज़मीन नेता ही छीने जा रहे
लेकिन अखबारवाले इसे छाप नहीं पा रहे
प्रिंस के गड्ढे में गिरने पर ढाई दिन लगातार कवरेज किया जाता
लेकिन गंगापुत्र निगमानंद को मीडिया ढाई मिनट नहीं दिखा पाता
देश व समाज से से जुड़े मुद्दों पर अधिकतर पत्रकार लिख नहीं पा रहे
क्यूंकि शायद इससे वो अपना निजी फायदा होता नहीं देख रहे
निडरता की जगह बेशर्मी ने ले ली है और कुशलता की जगह चाटुकारिता ने
खबर की जगह अहमियत स्वार्थ ने और संवेदनशीलता की संवेदनहीनता ने

अधिकतर न्यूज़ चैनेल्स के प्रोडूसर जैसे पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड हो गए  

पैसा नहीं समाज हित है पत्रकारिता इस सिद्धांत को भूल चुके हैं
कभी पुराने पत्रकारों के कौशल का ग़लत फायदा उठाके
कभी नेताओं को आपस में ही टीवी पर लड़ा के
जोर रखते हैं टी आर पी की रेटिंग  पर
बार बार ब्रेक लेते हैं ये विज्ञापन के लिए
तरसता है आम इंसान अदद खबर के लिए
अखबार भी ख़बरों की गुणवत्ता बाद में पहले विज्ञापन की लिस्ट देखते हैं
किसी मंत्री या पुलिस अधिकारी वाले के फ़ोन पर ही खबर छुपा जाते हैं
इसी तरह न्यूज़ चैनेल्स भी राजनीति के प्रभाव में दिखते हैं
समाज हित की ख़बरें तो ये बहुत बाद में रखते हैं 

 

क्यूँ नहीं दिखा पाते ये देश में बढ़ते हुए अपराधों का ग्राफ
क्यूँ नहीं बता पाते कारण कैसे रुक सकेगा अपराध
क्यूँ मीडिया आत्मदाह से रोकने के बजाय उसे शूट करता
क्यूँ नहीं पत्रकार निगमानंद जैसे लोगों के अनशन पर  लिखते
निज स्वार्थ हेतु गंगापुत्र कहते हैं जब वो जान दे चुके होते
आज पत्रकारिता  का समाज की बुराइयों को दूर करने में कितना योगदान है
सोचना होगा क्या लोकतंत्र का ये चौथा खम्बा अपने पथ पर महान है
देश में बाढ़,सूखे,मंहगाई,बेरोज़गारी की जगह मीडिया में चमक दमक ने ले ली
आज कौन से फिल्म स्टार को आना है स्टूडियो में बाकी क्रिकेट की कवरेज ने ले ली
आज अधिकतर नाम और रौब पाने के चक्कर में मीडिया लाइन से जुड़ते हैं
पत्रकारिता कम लोग करते हैं अधिकतर तो आम जनता पर ही रौब कसते हैं
कोई पैसों के चक्कर में पड़ा रहता है कोई झूठे अहम्  से बाहर नहीं निकल पाता है
कोई देश व समाज के दुश्मनों से ही इन वजह से सांठ - गाँठ कर जाता है
कोई अन्दर ही अन्दर धर्म,जाति की राजनीति में लगा होता है
कोई किसी नेता या पार्टी की ही जय जयकार में लगा होता है
कोई किसी हवलदार से पेट्रोल डलवाता कोई किसी व्यापारी को पकड़ता
बड़ी आसानी से तुच्छ दामों पर अमूल्य ख़बरों का सौदा हो जाता
वस्तुवादिता व वासना का निडरता से मुकाबला एक सच्चा पत्रकार करता है
धन,बल,दंभ,अहम्,कंचन,कामिनी में पड़कर अपने उद्देश्य से नहीं भटकता है        
सच्ची पत्रकारिता का सिर्फ एक उद्देश्य होता है समाज हित व समाज सेवा
अच्छी मीडिया का आंकलन तो समाज में घटते अपराध से ही होगा
इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर समीक्षा व क्रियान्वन की आवश्यकता है
सत्य,इमानदारी,निडरता,निस्वार्थता,सौहार्द व समाज हित ही पत्रकारिता के आधार हैं
येही बिंदु मीडिया की दिशा व दशा तय करने के आधार हैं,इन्ही से होना उद्धार है  

32 comments:

  1. मिडिया और पत्रकारिता का चेहरा उतार कर रख दिया आज सब टी आर पी का चक्कर है किसी को परवाह नही ………कौन चाहता है देश का उत्थान या विकास बस जेब भरी रहे और चैनल चलता रहे इसी पर चलता है इनका धंधा।

    ReplyDelete
  2. वंदना जी के विचारों से सहमत हूँ . बढ़िया लिखा है.

    ReplyDelete
  3. मीडिया जब तक पूंजीपतियों एवं स्‍वार्थी तत्‍वों के हाथ में रहेगी तब तक आम आदमी की आवाज नक्‍कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होगी। वास्‍तव में मीडिया पर किसी व्‍यक्ति का आधिपत्‍य होना ही नहीं चाहिए। मीडिया सदैव एक समूह द्वारा समूह के लिए संचालित किया जाना चाहिए जिसमें संचालक समूह की संख्‍या एक गांव की जनसंख्‍या के हिसाब से कम से कम 1000 रखी जानी चाहिए।

    ReplyDelete
  4. आपके शब्द और आपके चित्र, दोनों मिलकर परिस्थितियों का यथार्थ चित्रण कर रहे हैं।

    जनमत का व्यापक दबाव यदि इसी तरह बढ़ता रहा तो उपयुक्त बदलाव आने में अधिक देर नहीं लगेगी।

    ReplyDelete
  5. media aaj disha hiin hai ...wo TRP ke giraft me buri trah fasi hui hai...kewal utna hidikhana hota hai jisse khyati mile ...aise media se kuchh ummid lagana bewkoofi hai.....bahut hi prernadayak lekh...dhanyavad

    ReplyDelete
  6. .

    .



    मीडिया का सटीक चित्रण किया है आपने , पूरी तरह सहमत हूँ आपसे .. ....लेकिन एक बात कहूँगी की आजकल लोगों की मानसिकता ही कुछ अजीबोगरीब हो गयी है ....जब कोई संवेदनशील व्यक्ति किसी मुद्दे को उठता है तो बुद्धिजीवी उसका समर्थन न करके , विवाद उत्पन्न करते हैं ....मुद्दे से भटकाते हैं और लेखक/लेखिका का मनोबल तोड़ते हैं.

    .

    ReplyDelete
  7. अर्थपूर्ण व सार्थक लेखन,आभार !

    ReplyDelete
  8. सटीक ...आज के हालात तो यही हैं......

    ReplyDelete
  9. बधाई! एक सच्चाई से भरा और आज के हालात पर सटीक लेख ..

    ReplyDelete
  10. मिडिया भी अपनी व्यावसायिकता पहले देखता है फिर आज जब नैतिकता, इमानदारी, देशभक्ति आदि सभी गुण पुरे समाज से ही गायब है तो अकेले मिडिया को भी क्यों दोष दिया जाए वह भी इसी समाज का अंग है|
    आज हमारे देश में ईमानदारी,नैतिकता,बलिदान की बातें तो की जाती है पर कितने लोग इन पर खूद कितने खरे उतरते है|
    हर कोई चाहता है कि देश में देशभक्त,ईमानदार पैदा हो पर अपने घर में नहीं पडौसी के घर में हो!!

    ReplyDelete
  11. रतन जी मीडिया समाज का प्रतिनिधित्व करता है ।
    उसपर ज़िम्मेदारी होती है ।
    समाज को खबर नहीं दिखानी होती मीडिया को समाज की खबर दिखानी होती ।
    मीडिया में व्यवसायीकरण आना और मीडिया का व्यवसाय बन जाना दोनों अलग अलग चीज़ें हैं ।
    अपने दायित्व की वजह से उसे लोकतंत्र का चौथा खम्बा कहा जाता है ।
    इस तरह से तो कल मीडिया भी इसी राह पर चल सकता है हमे भी भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस मिल गया है ।
    येही मुद्दा तो चिंतन का है आखिर मीडिया में इतनी गिरावट क्यूँ आती जा रही है ?
    क्या मीडिया में कोई governing बॉडी नहीं होती या फिर होनी चाहिए ।

    ReplyDelete
  12. सही मुद्दे को लेकर आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! आपकी लेखनी को सलाम! सार्थक एवं प्रेरणादायक लेख! उम्दा प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  13. आपने यथार्थ का हुबहू चित्रण किया है.
    काश! आज का मिडिया अपनी जिम्मेवारी को
    ठीक से समझे और निभाए.

    सुन्दर सार्थक लेखन के लिए बहुत बहुत आभार आपका.

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर ..कई बिम्ब पत्रकारिता और मिडिया के आपने उठाये ... उनकी जिम्मेदारियों से रूबरू करवाया ... सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  15. राकेश जी आपतो वकील हैँ मीडिया को बेहतर करने के लिए आपके सुझाव व अनुभव काम आ सकते हैँ ।मात्र काश कह देने से क्या होगा समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी व सक्रिय होना होगा । आज समाज व सामाजिक मूल्य जो निम्न स्तर पर जा चुके हैँ,लोगोँ की समस्याएँ कम होने की जगह बढ़ती जा रही है। चारो तरफ भ्रष्टाचार,चोरी डकैती,हत्या,बलात्कार,घोटालोँ,मेँहगाई की गूँज है,यहाँ तक की देशवासियोँ की सुरक्षा की गारंटी मंत्री नही दे पा रहे ऐसे मेँ मीडिया का भी पथभ्रष्ट होना देश व समाज के लिए बहुत चिँताजनक है । एक सच्चा,र्निभीक व निष्पक्ष मीडिया ही लोकतंत्र की ताकत होता है और समाज को सही राह दिखाता है इसिलिए लोकतंत्र के आधार स्तंभोँ मेँ से एक है ।

    ReplyDelete
  16. Kumaar Aashish jee ke kathan se kuchh samadhaan kee raah dikhti hai.

    ReplyDelete
  17. आपने बहुत ही सार्थक विषय पर गंभीर और जिम्मेदारी भरा आलेख रचा है....
    सच है आज मीडिया को आत्मविश्लेषण की आवश्यकता है... सार्थक चिंतन....
    सादर बधाई

    ReplyDelete
  18. समय सचमुच बदला है। मौकापरस्त लोग येन-केन हर उस जगह घुसने का प्रयास करते हैं जहाँ शक्ति है, चाहे धन की हो, बाहुबल की या कोई अन्य रूप। और ऐसा क्षरण दो-चार दिन में नहीं होता है। यदि हम तय कर लें कि अपने आचरण में तो सत्य का साथ देंगे ही, साथ ही ऐसे पत्र, मीडिया का भी बहिष्कार/विरोध करेंगे जो हमारी कसौटी पर खरे नहीं उतरते तो फिर यह सब कितने दिन चलेगा? जैसे आपने एक आलेख लिखकर ध्यानाकर्षण किया ऐसे प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर किये जा सकते हैं। कहने को बहुत है और टिप्पणी बॉक्स/समय छोटा

    ReplyDelete
  19. सुज्ञ जी आपने सही कहा है । आशीष जी की बात कि मीडिया पर एक व्यक्ति का आधिपत्य नहीँ होना चाहिए व इसे समूह द्वारा संचालित होना चाहिए अनुकरणीय है परन्तु एकल आधिपत्य किसी एक संस्था चाहे वो पत्रिका,अखबार,नीव्स चैनल आदि मेँ हो सकता है लेकिन सामूहिक व समूची मीडिया पर किसी का आधिपत्य नही हो सकता । हाँ गलत नीति की सोच जरूर हो सकती है जैसा कि कई लोगो का यहाँ भी मानना है कि मीडिया गुणवत्ता से अधिक पैसे को प्रधानता दे रही है जिस वजह से अनैतिक कार्य भी हो रहे हैँ व मीडिया अपनी क्षमता व प्रतिभा का दूरुपयोग कर रहा जिससे मीडिया पतनोन्मुख है । वस्तुवादिता के साथ गुणवत्ता का समझौता ना करने पर मीडिया के सही रास्ते पर आने का एक कारण हो सकता है ।

    ReplyDelete
  20. अनुराग जी आपके विचारोँ से सहमत हूँ कि व्यक्तिगत प्रयास किए जा सकते है व करने चाहिए । जहाँ तक मीडिया के बहिष्कार की बात है वो थोड़ा अतर्कसंगत व अव्यवाहरिक है । यदि हमेँ किसी नीव्स चैनल की खबर सही या गुणवत्तापरक नही लगे तो हम टीवी तो बंद नहीँ कर सकते ना अर्थात हम मीडिया के रुबरू तो हमेशा रहेँगे और अमुक चैनल भी अगले दिन देखेँगे ही क्योँकि सभी चैनल एक समान ही होते है व अंदर से जुड़े होते है इनका all media association होता है अतः एक समान खबर ही देते है । इसके अलावा मीडिया भी समाज का एक अंग है ।सामाजिक चेतना व जागरुकता से ही मीडिया का स्तर उठेगा । हाँ, आंदोलन भी किया जा सकता है । ये भी एक उपाय हो सकता है ।

    ReplyDelete
  21. सोचने को मजबूर करता है आपका लेख ... मीडिया की इस दशा के लिए हम ही दोषी हैं ... बदलती मान्यताओं में सत्ता और पैसे की भूख ये सब करवाने को मजबूर करती है ... मीडिया भी इससे परे नहीं है ...

    ReplyDelete
  22. पत्रकारिता और मीडिया जैसे विषय पर सुंदर आलेख,
    काश मीडिया इसे इमानदारी निभाए,..बढ़िया पोस्ट....

    ReplyDelete
  23. सब लक्ष्मी के मायाजाल में उलझ गये हैं औ मायानगरी के निवासी बन गये हैं।बहुत अच्छी प्रसतुती है।
    आभार ।

    ReplyDelete
  24. दिगंबर जी आपसे सहमत हूँ कि समाज भी दोषी है । लेकिन समाज को वस्तुवादिता की तरफ अपरोक्ष रूप से मीडिया भी करता है । दूसरी बात जिम्मेदारी मीडिया को मिली है अतः उसे सजगता से कार्य करना चाहिए । समाज तो व्यक्तियोँ की इकाई का समूह होता है और उसमेँ तरह तरह के लोग तथा विचारधाराएँ होती हैँ । समाज मेँ तो कातिल,डकैत अराजकतत्व बहुत पैसा बनाते है मीडिया उनका अनुसरण तो नहीँ कर सकता । मीडिया के अपने सिद्धाँत,मानक,दिशार्निदेश होते जिनका मीडिया को अनुसरण करने होते हैँ और करने चाहिए ।

    ReplyDelete
  25. यह आज के समाजिक मूल्यों का आइना है

    ReplyDelete
  26. काजल जी सही कहा आपने आज सामाजिक मूल्योँ मेँ भी गिरावट आयी है । मीडिया की नजर मेँ सामाजिक मूल्य क्या हैँ इसकी विवेचना,समीक्षा,आकलन मीडिया को करना होगा व ये आपेक्षित है । मीडिया को समाज का प्रतिनिधत्व करते हुए,समाज को साथ लेकर व समाज की सहभागिता के साथ चलना होगा ।

    ReplyDelete
  27. मेरे विचार से समजा में जो अच्छा हो रहा है उसे प्रमुखता से स्थान देना चाहिए। वह भी खबर बननी चाहिए।

    ReplyDelete
  28. संस्थाओं का पतन चहुँऔर हुआ है,यही बात पेशेगत नैतिकता के सन्दर्भों पर भी लागु है।दुःख तो है पर निराशा नहीं,ढूंढे तो मिसाल-ए-काबिल लोग भी मिल जाते हैं।

    ReplyDelete
  29. मीडिया अब पत्रकारिता न कर के दलाली पर उतर आया है..शायद ही कुछ पत्रकार वाहे हैं जो स्वच्छ
    पत्रकारीय कर रहें हैं..बहुत अच्छी पोस्ट ..

    ReplyDelete
  30. I AGREE WITH YOU... AND THINK MEDIA HAS A DIRTY IMAGE

    ReplyDelete
  31. Oh my goodness! Incredible article dude! Thanks, However
    I am going through difficulties with your
    RSS. I don't know the reason why I cannot subscribe to it. Is there anybody else getting similar RSS issues? Anybody who knows the solution can you kindly respond? Thanx!!
    Here is my weblog ... watch nfl games online

    ReplyDelete