Thursday, 3 November 2011

जिन माता पिता ने पाला पोसा



 

जिन माता पिता ने पाला पोसा
हम उनको ही भुला देते हैं
जिनके आँचल में पले बढे
हम उसे ही बिसरा देते हैं
जिन्होंने हसना सिखाया हमको
रोये तो मनाया हमको
कितनी आसानी से हम
उनको ही रुला देते हैं

जिन माता पिता ने पाला पोसा
हम उनको ही भुला देते हैं

बचपन में कुछ मालूम न था

ख़याल माँ बाप को रखना था
पर बड़े हुए तो जग देखा
अहम् का नया सवेरा देखा
आखें छोटी सी लगने लगीं
दुनिया इतनी बड़ी जो दिखने लगी
पर बूढी आखों की रेखाएं
न देखी उनकी निश्छल भावनाएं
उनके विश्वास की रातों की
कालिमा हम बढ़ा देते हैं

जिन माता पिता ने पाला पोसा

हम उनको ही भुला देते हैं


बच्चों को पाला पोसा

जो कर सकते थे वो किया
उनकी किलकारी सुन दिल ने
अपने भी माँ बाप को याद किया
लेकिन वस्तुवादिता के सावन में
सच्चे भाव न उष्मित हो पाए
घर पर आया कोई पूछा ये कौन 
गर्व नहीं घृणा दिखा जाते हैं
जिन्होंने अपनी आँख का तारा समझा
उन्हें गाँव से आये हैं बता जाते हैं


जिन माता पिता ने पाला पोसा

हम उनको ही भुला देते हैं


दिन भर दोस्ती यारी में

शाम बीवी के साथ खरीदारी में
माँ -बाप शामिल नहीं दुनियादारी में
ऊंची इमारत बढ़िया गाडी
माँ-बाप लगते हमे कबाड़ी
कैसे चले जाएँ इसी सोच में हम रहते हैं
पर एक नौकर न कम हो जाये जाने नहीं देते हैं
अपने ताने सास को सुना के भी
बीवी चैन नहीं पाती घर के काम करा के भी
बूढ़े पिता का संबल बनने की भी कौन सोचे
जब दुर्गन्ध आती हो सेवा भावना से ही
आखिर बूढ़े माता पिता को हम
घर से जाने को कह देते हैं


जिन माता पिता ने पाला पोसा

हम उनको ही भुला देते हैं


चल देते हैं वो अनजानी,अनचाही राहों पर

फिर भी नज़र रहती है उनकी बच्चों की दुआओं पर
एक दुसरे को देखते हुए अपने आसूं पोछते हुए
कैसे बताये किसी को अपनों द्वारा ही निकाले हुए
कोई बेनामी की ज़िन्दगी में दम तोड़ जाते हैं
कोई किसी वृद्धा आश्रम में शरण पा जाते हैं
अपने चाँद से टुकड़े को माँ तब भी दिल में रखती है
पिता के दिल से भी अपने पूत के लिए बस दुआ उठती है
नित प्राथनाएं करते वो अपनों की खुशहाली के लिए
जिनसे अंधियारा मिला उनकी नित दिवाली के लिए
भगवान् के पास जाके भी वो
अपना दुखड़ा छुपा जाते हैं

जिन माता पिता ने पाला पोसा

हम उनको ही भुला देते हैं








9 comments:

  1. आज का कटु सत्य...बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति..

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  2. बहुत भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  3. आज का ये करवा सच ....
    भावपूर्ण रचना के लिये
    बधाई ..
    आपका मेरे ब्लॉग पे स्वागत है

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  4. आज का कटु सत्य ,मार्मिक प्रस्तुति ...............

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  5. सुंदर संवेदनशील पंक्तियाँ ....

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  6. माँ-पिता का गुणगान जितना ज्यादा हो ..फिर भी कम लगे, आपने भावनामय पक्तियों से मार्मिक प्रस्तुति की...आभार.

    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है..
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com (हिंदी कवितायेँ)

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  7. कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।

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