परमात्मा परमेश्वर हे शंकर हे शम्भू हे जगतपति जगदीश
हे प्रनतपालक हे दयासिन्धु हे भव भंजक तुम सबके अभीष्ट
तू भोला तू अन्तर्यामी सृष्टिकर्ता पालनकर्ता
हे रूद्र तू तप रूप तू ही तप का आश्रय दाता
समुद्र मंथन में निकले विष से जब जग मिटने लगा
हे नीलकंठ कंठ में धारण कर तूने उसे भी अमृत किया
हे उदार,हे शीघ्र प्रसन्न होने वाले जगतपालनहार
गंगा को पृथ्वी पर लाने हेतु जटाओं पर लिया उतार
हे मायातीत हे कालातीत तुम दक्ष प्रजापति को क्षमा करने वाले
हे गुनातीत तुम काली के भी भीषण क्रोध को रोकने वाले
हे हर हे महेश हे भवानीपति तुम्हे ही भजते हैं प्यारे गणपति
हे उदासीन हे कृपासिंधु दीनजनो पर हमेशा करुणा रहती तुम्हारी
मैं पापी कुबुद्धि कपटी कुटिल तनिक देखो प्रभु एक ओर हमारी
हे मनोज मर्दन, तुम्हारे चरणरज से शोभा पाता है गिरीश
परमात्मा परमेश्वर हे शंकर हे शम्भू हे जगतपति जगदीश
माता पार्वती संग प्रभु ह्रदय में विराजो मेरे
ह्रदय जो शुद्ध न हो तो हरो पाप सब मेरे
श्रद्धा विश्वास का प्रतिरूप आप दोनों वेदों ने गाया है
करो कृपा प्रभु मैंने तो पाप में ही जीवन गंवाया है
जोग जप तप शम दम नियम न जानू प्रभु पूजन भी
उपासना के वक़्त भी प्रभु छोड़ न पाऊं विषय चिंतन ही
प्रभु आप और माता से ही सीता राम की भक्ति मिलती है
और सियाराम की भक्ति से ही आप दोनों की भक्ति मिलती है
सियाराम के सेवक स्वामी सखा हैं आप और माता
आपकी कृपादृष्टि से निर्मल बुद्धि का द्वार है खुल पाता
प्रभु माता गौरी संग प्रभु कार्तिकेय प्रभु गणेश को ध्यान करता रहूँ
ललाट पर चन्द्रमा धरे पभु आपको ह्रदय में धरे नयनो से सींचता रहूँ
अंतःकरण को शुद्ध करो अपनी भक्ति दो हे ईश हे गौरीश
परमात्मा परमेश्वर हे शंकर हे शम्भू हे जगतपति जगदीश
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteभक्ति भाव से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
भगवान शंकर की स्तुति में भावपूर्ण भजन।
ReplyDeleteभगवान शंकर की स्तुति में भावपूर्ण भजन।
ReplyDeleteबहुत भक्तिमय प्रस्तुति...जय शिव शंकर
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय!
ReplyDeletejay bhole naath
ReplyDeletejai shiv sanker