क्या ये सच है? क्या ये सुखद है ? क्या ये उपयोगी है ?
सुकुरात प्राचीनकाल के बुद्धिमान लोगों में से एक थे वो हमेशा ये कहते थे की हमे अपना मुंह बंद रखना चाहिए और तभी बोलना चाहिए जब बहुत ज़रूरी हो ।
एक बार वो एक सभा में बैठे हुए थे तो उनसे पूछा गया," कैसे पता चले कब बोलना है उचित है ?"
सुकुरात ने जवाब दिया," मुंह खोलने से पहले स्वयं से तीन प्रश्न करो और जब प्रत्येक प्रश्न का उत्तर हाँ में मिले तो ही बोलो"
फिर उन्होंने बताया कि वे तीन प्रश्न क्या थे ?
पहला प्रश्न- क्या यह सच है ? यदि हम अपने कथन कि सच्चाई के बारें में निश्चित नहीं हैं तो हमे एक शब्द भी नहीं बोलना चाहिए यदि हम लापरवाही से कुछ बोलते हैं तो हम स्वयं झूठ के संचारक बनेंगे ।
दूसरा प्रश्न - क्या यह सुखद है ? कहीं हम अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए या दूसरे को चोट पहुँचाने के लिए या व्यर्थ में तो कुछ नहीं कहने जा रहे ।
सुकुरात के अनुसार तीसरा प्रश्न है - क्या यह उपयोगी है?क्या हमारे कथन से सुनने वाले का भला होने वाला है?हमारे शब्दों से क्या किसी को सुख मिलेगा या उसका हित होगा? यदि हाँ तो ही हमे बोलना चाहिए ।
उनका कहना था कि एक दिन आएगा जब हमे प्रभु को अपने प्रत्येक व्यर्थ बोले गए शब्दों का हिसाब देना होगा इसलिए हमारा हित इसमें है कि हम याद रखें कि एक दिन हमे जवाब देना होगा न केवल कडवे और झूठे शब्दों के लिए बल्कि प्रत्येक व्यर्थ बोले गए शब्दों के लिए भी ।
अतः क्या ये सच है क्या ये सुखद है और क्या ये उपयोगी है बोलने से पहले हमे अपने आपसे ये तीन प्रश्न अवश्य पूछने चाहिए ।
-पुस्तक 'आत्मिक-पोषण' 'से संकलित
Very useful for all of us. Thanks.
ReplyDeleteThanks for reading it and for your remark Tiwari ji
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