कलि नाम काम तरु रामको।
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष गोर घन घामको॥
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष गोर घन घामको॥
नाम लेत दाहिनो होत मन, बाम बिधाता बामको।
कहत मुनीस महेस महतम, उलटे सूधे नामको॥
भलो लोक परलोक तासु जाके बल ललित-ललामको।
तुलसी जग जानियत नामते सोच न कूच मुकामको॥
कहत मुनीस महेस महतम, उलटे सूधे नामको॥
भलो लोक परलोक तासु जाके बल ललित-ललामको।
तुलसी जग जानियत नामते सोच न कूच मुकामको॥
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