हर मज़हब मानवता सर्वोपरि बताता है
हर मज़हब मानवता की राह दिखाता है
है सबका मालिक एक ईश्वर कहो या अल्लाह
घट घट में बसता है वो गाड कहो या निरंकार
हर मज़हब अहिंसा ही धर्म सिखाता है
हर मज़हब मानवता सर्वोपरि बताता है
हर धर्मग्रन्थ सदगुणों सद्विचारों की खान है
उन्हें जीवन में उतारना ही उनका सम्मान है
सतसंग ही अंतःकरण को चमकाता है
हर मज़हब मानवता सर्वोपरि बताता है
बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteबधाई ||
http://dineshkidillagi.blogspot.com/
maanavta sarvopari hai.
ReplyDeleteekdam sahi ......
ReplyDeleteरविकर जी,दिव्या जी और मृदुला जी रचना को पढने और सराहने के लिए आभार
ReplyDeleteधन्यवाद