Saturday, 15 October 2011

विनम्रता

एक बार की बात है हठ योगियों का एक दल एक पवित्र नदी के किनारे ठहरा ।हठ योगी अपनी अदभुत यौगिक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध होते हैं। आसपास के गाँव और शहरों से लोगों की भारी भीड़ उनके करतब देखने के लिए जमा हो गयी
किसी बात पर उनमे प्रश्न उठा की उनमे से कौन सबसे अधिक प्रभु परमात्मा के निकट है 
हठ योगियों ने इसका मतलब ये निकाला कि जो अपनी सिद्धियों का करतब दिखायेगा वो ही सबसे अधिक प्रभु के निकट माना जाएगा। इस प्रकार एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो गयी - हर एक अपनी अद्वितीय यौगिक शक्ति का प्रदर्शन करने लगा
उनमे से एक उठा और बोला,''निश्चय ही मैं भगवान् के सबसे अधिक निकट हूँ क्यूंकि जिस प्रकार साधारण मनुष्य प्रथ्वी पर चलते हैं,मैं उसी प्रकार पानी पर चल सकता हूँ ।''
ऐसा कह कर वह बहती नदी के ऊपर चल कर पार गया और वापस आ गया। लोग सचमुच बे हैरान थे
तभी दूसरा हठ योगी बोला यह तो कुछ नहीं मैं तो आकाश में उड़ सकता हूँ और वो सच में उड़ने लगा 
लोगों ने आश्चर्यचकित होकर जोर शोर से तालियाँ बजायी
इसके बाद तीसरे ने बोला मैं सबसे महान ज्योतिष हूँ,मैं किसी का भी भूत, भविष्य,वर्तमान बता सकता हूँ और उसने भीड़ में से एक आदमी को बुलाया और उसके बीते जीवन कि सब घटनाएँ बतायीं जो कि उस आदमी ने स्वीकारा कि सच थीं
तब चौथा योगी आया और बोला मुझे अग्नि नहीं जला सकती और उसने भी वैसा कर दिखाया
तभी पांचवा आया और बोला मुझे ज़मीन में गाढ़ दो तो भी मैं जिंदा रह सकता हूँ । इस प्रकार ये सिलसिला बढ़ता गया,कोई आया कि मैं पानी के अन्दर कई दिन तक रह सकता हूँ । किसी ने खुद को प्रकांड ज्ञानी बताया कि उसके ज्ञान के आगे कोई नहीं टिक सकता
किसी ने अपने चमत्कार से वहीँ धन कि वर्षा करा दी,किसी ने माया से खुद को अप्रकट करके दिखाया 
परन्तु निष्कर्ष नहीं निकल पाया
अंत में ये विचारा गया कि एक संत उसी नदी के किनारे काफी समय से रहते थे जो कि ब्रह्म-निष्ठ थे,सदा आत्म-रमण करते रहते थे,जिन्हें सब लोग बहुत मानते थे और जो सभी के  परोपकार में  लगे रहते थे उनसे ही पूछा जाये
 उनसे पूछने पर संत बोले,''सबसे महान और सबसे निकट वो है जो सबसे अधिक विनम्र है,क्यूंकि मनुष्य के लिए सबसे कठिन काम है अपने अहम् को मिटाकर स्वयं को भगवान् के चरणों कि धूल का एक कण मानना।''
यही एक साधना थी जो उन योगियों  में से किसी ने भी सिद्ध नहीं की थी




'आत्मिक-पोषण' पुस्तक से संकलित
 
  

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